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Sunday, September 19, 2010

फिट हैं तो हिट हैं.....

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में खुद को चुस्त-दुरुस्त रखना लोगों की प्रमुख प्राथमिकता होती है। इसके अलावा, किसी दुर्घटना में रीढ की हड्डी, हाथ, पैर आदि की हड्डी या नर्व्सर क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में जब व्यक्ति का सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है और कोई इलाज कारगर नहीं रह जाता,तो ऐसे समय में फिजिकल एक्सइरसाइज जीवन को सामान्य दिशा में ले जाने में रामबाण साबित होती है। और यह एक्सरसाइज अगर ट्रेंड फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा कराई जा रही है, तो फिर कहना ही क्या। यही वजह है कि आज फिजियोथेरेपिस्ट अस्पतालों के अलावा रिहाइशी क्षेत्रों एवं कॉरपोरेट क्षेत्र तक में नजर आने लगे हैं। केवल फिजियोथेरेपी ही नहीं,बल्कि ऑक्यूपेशनल थेरेपी और प्रोस्थेटिक्स ऐंड ऑर्थोटिक्स विशेषज्ञ की डिमांड भी तेजी से बढ रही है। इस क्षेत्र में बैचलर और मास्टर कोर्स करके आप लोगों को फिट और निरोग बनाने के साथ-साथ खुद के करियर को भी हिट कर सकते हैं।

कौन से हैं कोर्स


बैचलर इन फिजियोथेरेपी (बीपीटी), बैचलर इन ऑक्यूपेशनलथेरेपी (बीओटी), बैचलर इन प्रॉस्थेटिक्स ऐंड आर्थोटिक्स (बीपीओ) कर सकते हैं। ये सभी साढे चार वर्ष की अवधि के फुलटाइम कोर्स हैं, जिसमें छह माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शामिल है। इन कोर्सो के तहत मुख्य रूप से ऑर्थोपेडिक्स, एनाटॉमी, न्यूरोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, साइकोलॉजी और फिजियोथेरेपी के बारे में विस्तार से पढाया जाता है। बीपीटी के बाद आप एमपीटी यानी मास्टर्स ऑफ फिजियोथेरेपी कर सकते हैं, जिसकी अवधि दो वर्ष है।

प्रवेश के लिए योग्यता


बैचलर इन फिजियोथेरेपी (बीपीटी) व बैचलर इन ऑक्यूपेशनल थेरेपी (बीओटी) पाठ्यक्त्रमों में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और इंग्लिश विषयों से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। बैचलर इन प्रॉस्थेटिक्स ऐंड ऑर्थोटिक्स (बीपीओ) के लिए वे उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं, जो फिजिक्स, केमिस्ट्री और अंग्रेजी के अलावा मैथमेटिक्स या बायोलॉजी विषयों से न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों सहित बारहवीं हों। 10+2 के रिजल्ट का इंतजार कर रहे छात्र भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए ऐसे स्टूडेंट्स को अपने स्कूल के प्रिंसिपल की तरफ से एक सर्टिफिकेट लेकर आवेदन पत्र के साथ संलग्न करना होगा,जिसमें यह उल्लेख हो कि उम्मीदवार ने 10+2 की परीक्षा दी है और उसका रिजॅल्ट प्रतीक्षित है।

कैसे होता है चयन?


बीपीटी, बीओटी पाठ्यक्त्रम के लिए एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है। इसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और सामान्य ज्ञान के अलावा अंग्रेजी भाषा पर आधारित 50-50 अंकों के ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते हैं। जो उम्मीदवार बीपीओ पाठ्यक्त्रम करना चाहते हैं, उन्हें फिजिक्स, केमिस्ट्री, सामान्य ज्ञान के साथ बायोलॉजी या मैथ्स में से किसी एक के सवालों का जवाब देना होता है।

संभावनाओं का संसार


फिजियोथेरेपिस्ट की बढती मांग के चलते इस फील्ड में ट्रेंड लोगों के लिए कार्य करने के कई विकल्प हैं। सरकारी एवं निजी अस्पतालों के आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में तो बेहतर स्कोप हैं ही, यदि आप जॉब नहीं करना चाहें, तो प्राइवेट पै्रक्टिस भी कर सकते हैं। शिक्षक एवं रिसर्चर के रूप में भी करियर बना सकते हैं।

प्रमुख संस्थान :


आईएसआईसी इंस्टीट्यूट ऑफ रीहैबिलेशन साइंसेज, सेक्टर-सी, वसंत कुंज, नई दिल्ली- 70, फोन : 011-26894804, 42255225


ई-मेल: institute@isiconline.org


पंडित दीनदयाल उपाध्याय विकलांग जन-संस्थान, 4, विष्णु दिगंबर मार्ग, नई दिल्ली-110 002 फोन : 011-23236193, 011-232156902,


वेबसाइट : www.iphnewdelhi.in


गुरु गोविंद इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, कश्मीरी गेट, दिल्ली -6, फोन : 011-23869313-16 वेबसाइट: www.ipu.ac.in


(नई दिल्ली स्थित आईएसआईसी इंस्टीट्यूट ऑफ रीहैबिलेशन साइंसेज की प्रिंसिपल चित्रा कटारिया से बातचीत पर आधारित)


अरुण श्रीवास्तव


ऑक्यूपेशनल थेरेपी में जोरदार करियर


पैरा-मेडिकल प्रोफेशन में एक तेजी से उभरता हुआ नाम ऑक्यूपेशनल थेरेपी का है। इसमें भी शारीरिक विकलांगता अथवा किसी तरह की मानसिक अक्षमता के शिकार लोगों को उनके रोजमर्रा के जीवन हेतु सक्षम बनाना, उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का प्रयास करना तथा उनके लिए ऐसे वैकल्पिक तौर-तरीकों या कृत्रिम साधनों का विकास करना, जिससे उन्हें कार्य करने में न्यूनतम परेशानियो ं का सामना करना पडे। विशेष तौर पर जन्मजात विकलांग या किसी दुर्घटना में घायल होने के बाद अपंगता के शिकार लोगों की जिंदगी में इस प्रकार के सकारात्मक बदलाव के साथ प्रभावित अंगों की आवश्यक थैरेपी करना भी इसी प्रोफेशन का अभिन्न हिस्सा है। देश में फिलहाल ज्यादा संस्थानों में इस प्रकार की ट्रेनिंग का प्रबंध नहीं है। जीवविज्ञान सहित अन्य विज्ञान विषयों में 10+2 पास युवा ही इस प्रोफेशन के लिए आवश्यक कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस तरह के कोर्स देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अन्य प्राइवेट संस्थानों में संचालित किए जाते हैं। इनके लिए रोजगार के अवसर नामी अस्पतालों के अलावा, फिटनेस सेंटरों एवं मेंटल डिस-ऑर्डर ट्रीटमेंट हॉस्पिटलों में हो सकते हैं। अमूमन आर्थोपेडिक न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल समस्याओं से ग्रसित लोगों के इलाज में संलग्न संस्थाओं में रोजगार के अवसर तलाशे जा सकते हैं। विदेशों में तो स्कूलों में भी इस प्रकार के ट्रेंड एक्सपर्ट की सेवाएं ली जाती हैं, ताकि वे ऐसे युवा छात्रों/बच्चों की शारीरिक अपंगता का आकलन कर सकें, जो स्वयं को अक्षम मान चुके हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के इलाज से पहले इन प्रशिक्षित पैरा-मेडिकल कर्मियों के आकलन और सुझाव की रिपोर्ट तैयार करवाई जाती है, ताकि सही दिशा में इलाज शुरू किया जा सके। इतना ही नहीं, मास्टर्स डिग्री इत्यादि के कोर्स के बाद रिसर्च और अध्यापन सरीखे विकल्प भी इन प्रशिक्षित लोगों के लिए देश और विदेश में उपलब्ध हो सकते हैं। समाज सेवा तथा रोगियों के लिए सहानुभूतिपूर्ण रवैया रखने वाले लोगों को ही इस क्षेत्र में करियर निर्माण के बारे में सोचना चाहिए।

डॉ. अंशु भल्ला

हेड, ओटी डिपार्टमेंट, इंडियन स्पाइनल इंजुरीज सेंटर, वसंत कुंज, नई दिल्ली