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Sunday, January 3, 2010

सफलता के सूत्र - अंजन कुमार बराल


हरेक व्यक्ति जीवन में सफल होने के रहस्यों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने इस संसार में सफलता हासिल की है। सफलता उन व्यक्तियों के पास नहीं आती जो इंतजार करते हैं ... और यह अपने पास आने के लिए किसी का इंतजार भी नहीं करती है। अधिकतर सफल व्यक्तियों ने कुछ नए गुणों या उन्हें प्राप्त अवसरो द्वारा ही अपने गंतव्य को प्राप्त नहीं किया है। उन्होंने तो अपने हाथ में आए अवसरों का विकास किया है। असफलता और सफलता के बीच अंतर बस इतना है, जैसे कोई काम लगभग सही करना तथा बिल्कुल सही प्रकार से करना। कोई भी व्यक्ति सफल रूप में पैदा नहीं होता है बल्कि वे तो इसका सृजन करते हैं। सफलता कोई इत्तफाक नहीं है या लॉटरी के टिकट में निहित नहीं होती है, इसे तो आपको स्वयं सृजित करना होता है। सफलता के रहस्यों की जानकारी और उनका सही कार्यान्वयन निश्चित तौर पर किसी व्यक्ति के जीवन में सफलता हासिल करने में मददगार हो सकता है। सफलता क्या है?
सफलता किसी व्यक्ति द्वारा चुने गए लक्ष्यों को हासिल करना है। ऐसे लक्ष्य, जिनकी कोई व्यक्ति आकांक्षा रखता है और उनके लिए कार्य करता है, भले ही वे कुछ भी हों। यह हमारे प्रयत्नों का सकारात्मक परिणाम है। उपलब्धिओं के सिलसिले को जब एक साथ रखकर जीवन की बड़ी उपलब्धिओं के साथ जोड़ा जाता है तो उसे सफलता के रूप में जाना जाता है। हम सब प्रत्येक व्यक्ति के लिए सफलता के भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं। सफलता का अर्थ कई रूपों और परिभाषाओं में होता है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप जीवन में क्या तलाश रहे होते हैं। सफलता एक यात्रा है और गंतव्य नहीं है,आपको लगातार आगे बढ़ते रहना है। सफलता के शिखर को छूना किसी पहाड़ी पर चढ़ाई करने के समान होता है। हरके चोटी गंतव्य होती है और आप एक बार में एक चोटी पर ही चढ़ते हैं। प्रत्येक गंतव्य स्थान तक पहुंचना एक चुनौती होती है। कोई संगीतकार अपनी सफलता हिट हुए गानों की संख्या में देख सकता है, किसी डॉक्टर के लिए वह सर्जरी सफलता हो सकती है जो सही प्रकार से सम्पन्न हुई है, किसी राजनीतिज्ञ के लिए यह सत्ता हासिल करना हो सकती है और किसी वैज्ञानिक के लिए कोई नया आविष्कार या अन्वेषण उसकी सफलता हो सकती है। मुख्यतः यह आपके जीवन की भविष्य-सापेक्षता पर निर्भर करता है। सफलता की परिभाषा सदैव याद रखिए कि आप अपने जहाजरूपी जीवन के स्वयं कप्तान हैं। सफलता का अर्थव्यक्ति दर व्यक्ति बदलता रहता है। सफलता आपके पास नहीं आती... आप इसके पास जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की सफलता की परिभाषा निम्नलिखित कारकों से प्रभावित रहती है :-सफलता व्यक्ति विशेष की शिक्षा, पूर्व के अनुभवों, भूमिकाओं, व्यक्तिगत प्रेरणाओ और लक्ष्यों पर आधरित व्याख्या के विषयाधीन होती है। अपनी मान्यताओं के आधार पर अपनी सफलता की परिभाषा की ध्यानपूर्वक विवेचना करें। जब आप सफलता प्राप्त करते हैं तो कई बार यह मूल्यांकन योग्य होता है तथा कई बार नहीं।बहुत कम लोगों को इत्तफाक से सफलता मिलती है। सफलता हासिल करने वाले अधिकतर लोग पहले इसे परिभाषित करते हैं और इसके बाद इसकी योजना तैयार करते हैं। वे इसकी प्राप्ति का लक्ष्य तय करते हैं। किसी भी व्यक्ति को सफलता की स्वयं की परिभाषा तैयार करने के वास्ते उसका सघन विश्लेषण करने के लिए समय लगाना होगा और तदनुरूप इसे तय करना होगा। इससे सफलता की प्राप्ति के लिए आगे उठाए जाने वाले कदमों और कार्रवाइयों के निर्धरण में मदद मिलेगी। अर्थात सफलता शब्द को निम्नानुसार सही प्रकार परिभाषित किया जाता है :-''एस'' (solo focus) - एकल फोकस''यू'' (unlocked imagination) - अव्यक्त कल्पना''सी'' (crystal clear path) - पारदर्शक स्वच्छ मार्ग''सी'' (connection to the heart) - हृदय से जुड़ाव''ई'' (extraordinary energy) - असाधारण ऊर्जा''एस'' (skill set) - कौशल''एस'' (stop at nothing) - कहीं भी न रुकनासफल व्यक्तियों के रहस्यविश्व के महानतम सफल व्यक्तियों ने अपनी इन कल्पनाओं का प्रयोग किया... वे आगे की सोचते हैं और विस्तार से अपने दिमाग में इसकी तस्वीर का सृजन कर लेते हैं, यहां उसमें कुछ शामिलकरके और जोड़ करके, इसमें थोड़ा बदलाव करके, तीव्रता के साथ इसका निर्माण किया जाता है। सर्वोच्च सफलतम व्यक्तियों के कुछ रहस्य इस प्रकार हैं :-1। सफल लोग उन कार्यों में अपने प्रमुख कौशलों का सही प्रयोग करते हैं जिनमे उनकी रुचि होती है तथा उन्हें वे वास्तव मे करना चाहते हैं। वे अपनी शक्ति तथा कमजोरी का अच्छी तरह मूल्यांकन कर सकते हैं तथा इसके अनुरूप वे अपनी सफलता के मंदिर का निर्माण करते हैं।2। वे अपनी शक्ति को सही रूप देने और अपनी कमजोरियों के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए प्रयास करते थे।3। वे जो कुछ करना चाहते हैं, उसके प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण तथा लक्ष्य रखते हैं।4. वे अत्यधिक विश्वासी होते हैं तथा कभी पीछे नहीं हटते तथा आत्म-विश्वास नहीं खोते।5. उन्होंने अवचेतन दिमाग की शक्ति की पहचान की होती है। चेतन मन अदक्ष होता है तथा उसकी क्षमताएं सीमित होती है। अवचेतन मन चेतन मन की अपेक्षा अधिक क्षमता और सक्षमता वाला होता है। सफल व्यक्ति जानते हैं कि अपने लक्ष्यों और स्वप्नों को पूरा करने के लिए इसका किस तरह इस्तेमाल किया जाए। वे चिरस्थाई होते हैं तथा इस बात में विश्वास करते हैं कि अच्छा करना ही पर्याप्त नहीं है प्रत्येक कार्य में श्रेष्ठता प्राप्त करना ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।''7. अच्छी तरह स्मरण रखा जाने वाला लक्ष्य ही सही तरह हासिल होता है। सफल लोग सृजित लक्ष्यों के प्रति हमेशा ध्यान केंद्रित रखते हैं तथा उन्हें प्राप्त करने की अपनी सक्षमता पर कभी संदेह नहीं करते।8. उनकी सफलता में सुविचारित जोखिम उठाने का साहस एक बड़ा कारण होता है। सफल व्यक्तियों में तीन समान विशेषताएं होती है :I. वे जानते हैं कि वे कहां हैं II. वे जानते हैं उनकी मंजिल क्या है, और III. उनके पास वहां पहुंचने की एक योजना होती है।आप स्वयं की सफलता के निर्माता हैं आप स्वयं की सफलता के निर्माता क्यों हैं, इन्हें निम्नानुसार संक्षेप में दर्शाया जा सकता है :-आप तय करते हैं : सफलता प्राप्ति का निर्धारण आप को स्वयं करना होता है। आप दर्शाते हैं कि सचेतन फैसले आपके स्व-मूल्यांकन और निर्णय पर आधारित होते हैं।आप समझते हैं : आप अपनी सफलता के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं भले ही इसमें सारथी होते हैं और परामर्शदाता होते हैं। उनकी प्रमुख भूमिका इस विषय में आपको निर्देशित और प्रेरित करने तक सीमित होती है। सफलता प्राप्ति की सही तकनीक केवल आप द्वारा स्वयं तैयार की जा सकती है। आपको सफलता हासिल करने के वास्ते अपनी खुद की योजना पर कार्य करना होगा आप योजना तैयार करते हैं : यह ठीक ही कहा जाता है कि, योजना बनाने मे असफल, असफलता की योजना बनाना होता है। असफल होने वाले कुछ लोग कहा करते हैं कि उनके भाग्य में सफलता नहीं है। आपको अपने तरीके से सफलता हासिल करने की योजना बनानी होगी। आप चुनौतियां से पार पाते हैं : सीढ़ी के सबसे ऊपरी हिस्से में कभी भीड़ नहीं होती, लेकिन सफलता का मार्ग चुनौतियों से भरा पड़ा है। इन चुनौतियों से आपको स्वयं पार पाना होगा। आपको इन चुनौतियों का स्वयं समाधान ढूंढ़ना होगा तथा इन चुनौतियों को अवसरों में परिवर्तित करना होगा। सफलता के चरणसफलता के तीन चरण हैं :1. संघर्ष चरण2. प्राप्ति चरण3. अनुरक्षण चरणसंघर्ष चरण वह समय होता है जब आपने सफलता का परीक्षण नहीं किया होता है। आप नहीं जानते होते हैं कि अपने दिल की इच्छाओ को कैसे जाना जाए, अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए क्या करें और अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करें। इस चरण में मुख्यतः ज्यादातर समय कुण्ठा बनी रहती है और अंततः अपने रास्ते मे जो कुछ भी आता है उसको स्वीकार कर लिया जाता है। इससे आप अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। अत्यधिक खराब स्थितियों में भी अपने को प्रेरित करते रहने वाली नई और अभिनव तकनीकों का पता लगाने और अपने कार्य में जुटे रहने की लग्न को बनाए रखने के प्रति ध्यानपूर्वक कार्य करते रहना चाहिए। सोना अपनी शुद्वता और चमक केवल अत्यधिक अग्नि और गर्मी में ही प्रदर्शित करता है। अतः अपने सिर को मजबूत बनाए रखिए तथा इस चरण में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए साहस और समर्पण की भावना बनाए रखें। प्राप्ति चरण में आपने वह प्राप्त कर लिया होता है जिसे हासिल करने की आपकी इच्छा होती है और जो आपने चाहा होता है वह प्राप्त कर लिया होता है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण चरण होता है तथा अत्यधिक सावधानी के साथ इसमें कार्य करना चाहिए। आपको अपनी सफलता के आगे के मार्ग का चित्रांकन करने की आवश्यकता होती है। एक बार आप अपने सपनों को खड़ाकर पाएंगे और इन कारणों के आसपास के अपने लक्ष्यों को हासिल करने की योजना तैयार कर लेंगे, तब आप पाएंगे और स्पष्ट रूप से देखेंगे कि आगे का मार्ग क्या है। चूंकि सफलता एक गंतव्य न होकर, यात्रा है इसलिए आप एक केबाद एक सफलताएं हासिल करते जाएंगे। कुछेक ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण हैं कि वे सफलता के शिखर पर पहुंचने और आगे बढ़ते रहने के कारणों को ही भूल बैठे। इससे उनके जीव में आगे कोई विकास नहीं हो पाया। अनुरक्षण चरण में, आपको यह सीखना होता है कि आप किस प्रकार अपनी आकांक्षाओं और स्वप्नों को वास्तविकता में बदल सकते हैं। आपको यह पता लगाना होगा कि आप किस बात से प्रेरित होते हैं और ये अस्थाई चूकों से तीव्रता के साथ उबारने में मददगार साबित होंगी।सफलता के महत्वपूर्ण कारण यदि आप जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो सफलता के भिन्न-भिन्न ऐसे सिद्वांत हैं जिनका आपको पालन करना होगा। यह सिद्व हो चुका है कि ज्यादातर चीजों का कोई महत्व नहीं होता लेकिन यह महत्वपूर्ण होता है कि उनके प्रति आपका रवैया कैसा है। ये अभिरुचियां या कारण बचपन में शुरू होते हैं तथा प्रौढ़ावस्था में विकसित होते हैं। सफलता के लिए उठाए जाने वाले कदमों और रहस्यों का विवरण इस प्रकार है :1. एकल-मनोदशा एकल-मनोदशा की स्थिति पूर्ण-शक्तिवान होती है। जब आप पूर्ण - शक्ति के स्रोत से जुड जाते हैं तो अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं। भाग्य आपका संभावित जीवन पथ है और इससे संबंधित विचार और आपकी वास्तविकताओं के प्रति विश्वास स्थापित होता है। अपनी प्राथमिकताएं तय करते हुए एकल-मनोदशा की स्थिति के अनुरूप ध्यान केंद्रित करके आप जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।2. इच्छा शक्ति यदि आप कोई चीज सृजित करना चाहते हैं, इसकी कल्पना भर करना काफी नहीं होता। इच्छा का प्रयोग करना अपना ध्यान केंद्रित करना मात्र होता है। चैंपियन धावक और दूसरेस्थान पर आने वाले व्यक्ति में टांगों की शक्ति बहुत ज्यादा मायने नहीं रखती बल्कि यह उनके अंदर की उच्च इच्छाशक्ति का परिणाम होता है जो उसे दौड़ में जीत दिलाती है। जितना ज्यादा आप समर्पित होंगे उतनी ज्यादा सफलता पाएंगे।3. उद्देश्य उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करें। जब आप अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करेंगे तो आप अपने को वे सफलताएं अधिक से अधिक प्राप्त करता हुआ पाएंगे जो आप हासिल करना चाहते हैं। अपने मूल लक्ष्यों को ध्यान में रखें तथा अपने मार्ग से न भटकें।4. फोकस सफलता का रहस्य है फोकस। यह एक ऐसा रहस्य है जो सब बातों को एक साथ जोड़ता है। फोकस के नियम के अनुसार, आप जिस पर ध्यान केंद्रित करते हैं वही आप हासिल करते हैं। फोकस इच्छा की कार्रवाई है जो सब पर शासन करने वाला संकाय है। जब आप किसी कार्य पर ध्यान लगाते हैं तो आप उसके बारे में सोचने लगते हैं कि क्या आप उसे कर भी सकते हैं। आप फोकस की ऊर्जा के प्रयोग से कार्य के सभी हिस्सों को एक साथ जोड़ते हैं। फोकस की कमी असफलता का कारण बनती है। यदि आप अधिकतम और तीव्र परिणाम चाहते हैं तो अपनी आंख लक्ष्य पर केंद्रित रखें। जिनका स्वयं पर नियंत्रण नहीं होता, कभी सफल नहीं हो सकते।5. दृढ़ विश्वास ब्रह्माण्ड का रहस्य दृढ़-विश्वास की शक्ति है। यह सचेतन की तरफ सोचने के बारे में है और जब कोई व्यक्ति सचेतना की तरफ मुड़ता है तो वह इस ब्रह्माण्ड में किसी भी दिशा में मुड़ सकता है। दृढ़-विश्वास लोगों को उनकी वास्तविकताओं के प्रति परिवर्तित करने की धारणा की ओर मोड़ना है। सभी सफल व्यक्तियों के पीछे उनका दृढ़-विश्वास महत्त्वपूर्ण कारक है।6. लक्ष्य निर्धारण स्पष्ट रूप से निर्धारित करें कि आपका लक्ष्य क्या है। विशिष्ट बनें। एक बार यदि आपने तय कर लिया है तो इसका अर्थ हुआ कि आपको स्वयं के लिए सफलता हासिल करनी है तथा आपका अगला कदम होगा लक्ष्यों को निर्धारित करना, जो आपको सफलता की चोटी तक पहुंचेंगे। लक्ष्य निर्धारण के पांच स्वर्ण नियम हैं:-सुनिश्चित कर लें कि आपके लक्ष्य मूल्यवान हैंसुनिश्चित कर लें कि आपके लक्ष्य नितांत आवश्यक है लक्ष्य हासिल करना एक प्रक्रिया है, परिणाम मात्र नहीं है।स्मार्ट लक्ष्य निर्धारित करें (विशिष्ट, मापनयोग्य, प्राप्त करने योग्य, संगत, समयबद्ध)लिखित में लक्ष्यों को निर्धारित करें तथा कार्य योजना बनाएं।7. नियोजन नियोजन सफलता के मार्ग में एक अनिवार्य पहलू है यदि आप नियोजन में असफल हैं तो समझिए कि असफल होने की योजना बना रहे हैं। लेकिन आज के बदलते संसार में बदलाव एक प्रक्रिया है। विवेक के इस साधारण मोती की यह परीक्षा की घड़ी है। नियोजन अपने लक्ष्यों को हासिल करने की प्रक्रिया का ब्लू-प्रिंट है। योजना बनाए बिना लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना ठीक उसी प्रकार है जैसे स्यिरिंग के बगैर कार को चलाना अर्थात अपनी दिशा पर नियंत्रण के बगैर कुछ हासिल करने का प्रयास करना। नियोजन एक सतत प्रक्रिया है। योजना एक नक्शे की तरह होती है। जब आप कोई योजना बनाते हैं तो आप यह देख सकते हैं कि आपने इस दिशा में कितनी प्रगति की है तथा लक्ष्य से कितना दूर हैं। योजना लक्षित वैशिष्टयों की प्राप्ति की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का क्रम होता है। यदि आप प्रभावकारी तरीके से कार्य करें तो लक्ष्य हासिल करने के वास्ते जरूरी समय बचा सकते हैं। प्रभावी होने के लिए विभिन्न स्तरों पर नियोजना जरूरी होता है :रणनीतिक स्तर : इसमें आपको भविष्य की दीर्घावधि की सफलता हासिल करने के लिए दिशा निर्धारित करनी होती है।प्रचालन स्तर : इस स्तर पर नियोजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि दिन-प्रतिदिन की गतिविधिओं की पहचान की जाए और प्रभावी रूप से उनका सफल प्रचालन हो।8. छोटे कदम उठाना सफल नियोजन शुरू करने के वास्ते अपने लक्ष्यों को छोटे-छोटे कार्य-स्थलों में बांटें। सबसे आसान कार्य से शुरूआत करें। इससे आप विश्वास बनेगा तथा आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।9. समय प्रबंधन किसी के लिए भी समय एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है और कई बार यह सर्वाधिक मूल्यवान होता है। समय की समझ प्रेरित कर सकती है तथा प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करते हुएप्रति घण्टा अधिक कार्य हासिल करने में मददगार हो सकती है। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए सफल समय प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है।10. प्रणालियों का प्रयोग यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो आपको श्रेष्ठ परिणाम देने के वास्ते एक प्रणाली का विकास और प्रयोग करना होगा। किसी को भी श्रेष्ठ परिणाम हासिल करने केवास्ते विशिष्ट मार्ग खोजने होंगे। यह एक ऐसी विशिष्ट प्रणाली होनी चाहिए जिसका आप जब भी प्रयोग करें श्रेष्ठता के साथ कार्य करें। संपूर्ण ब्रह्माण्ड प्रणालियों से भरी प्रणाली है।11. अनुशासन लोगों की असफलता का एक प्रमुख कारण है कि उनके कार्यों में कोई अनुशासन नहीं होता। अनुशासन से यह सुनिश्चित होता है कि आप हर समय विशेष कर चुनौतियों के समय मैदानमें डटे रह सकते हैं। 12. बड़ी सोच बड़ी सोच रखना सफलता प्राप्ति की एक अनिवार्य विशिष्टता है। बड़ी सोच तब पनपती है जब आप अपने मन के चक्षुओं में उस बृहत लक्ष्य को देखते हैं जो आपसे कहीं ज्यादा बड़ाहोता है। बड़ी सोच रखना ऐसे सपनों को संजोना है जिनको आप हकीकत में बदलने के लिए कार्य करते हैं।निष्कर्ष लोग सामान्यतः अपने जीवन में सफलता हासिल करने के रहस्यों की खोज करते हैं। सफलता प्राप्ति के लिए कुछ लोग कक्षाएं ज्वाइन करते हैं और कुछ अन्य अपने जीवन में संघर्ष का मार्ग अपनाते हैं। हालांकि, सफलता की परिभाषा या अर्थ व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न होता है लेकिन आज भी हमारे समाज का यह प्रमुख घटक है। इस पृथ्वी पर असफल व्यक्तियों या हारे हुए व्यक्तियों के लिए कोई स्थान नहीं है। हम पृथ्वी पर परमात्मा के श्रेष्ठ सृजक हैं तथा जीवन को पूर्ण जीवित रखे हुए हैं, जिसके लिए किसी के भी जीवन में सफलता जरूरी है। उपर्युक्त रहस्यों का पालन करके कोई भी व्यक्ति उपलब्ध् संसाधनों और आसपास की परिस्थितियों के अनुरूप समयबद्व रूप से जीवन में सफलता सुनिश्चित कर सकता है। आज के नहीं होने की स्थिति में कल कभी नहीं आ सकता, लेकिन बुद्विमान लोग हर क्षण कुछ करते रहते हैं। अभी भी देर नहीं हुई है, अपनी सफलता का मन में दृश्यांकन करें तथा इस दिशा में अभी से कार्य आरंभ करें। आपकी सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं। (लेखक गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा के प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी विभाग में वरिष्ठ प्रवक्ता है)

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