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Friday, August 19, 2011

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये.......

सनातन द्वारा निर्मित श्रीकृष्ण का सात्विक चित्र


पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण की श्रेष्ठता का वर्णन करना, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए असंभव है । श्रीकृष्णजी का जन्म हुआ भाद्रपद कृष्ण अष्टमी (10.08.2012) पर । इस दिन श्रीकृष्णजी की तत्त्व तरंगें पृथ्वी पर अधिक मात्रामें आकृष्ट होती हैं । इस तत्त्व का अधिक लाभ हम वैसे प्राप्त कर सकते हैं !

महाभारत एवं भागवत अनुसार ईसा पूर्व ३१८५ वर्ष में, श्रावण कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्र भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ । विक्रम संवत के अनुसार यह तिथि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को आती है । इस दिन श्रीकृष्ण तत्त्व वातावरण में अन्य दिनों की तुलना में एक सहस्र गुना अधिक मात्रा में कार्यरत रहता है । इन दिनों वृंदावन में दोलोत्सव होता है ।

श्रीकृष्णजन्माष्टमी व्रत

यह व्रत श्रावण कृष्ण अष्टमी को किया जाता है और दूसरे दिन अर्थात् श्रावण कृष्ण नवमीके दिन पारण कर व्रत की समाप्ति होती है । यह व्रत सर्वमान्य है । इस व्रत का फल है, पापनाश, सौख्यवृद्धि, संतति-संपत्ति और वैकुंठप्राप्ति ।

श्री कृष्ण की पूजा कैसे करें ?

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ, इसलिए स्नान कर पूजा भी उसी समय अर्थात् निशिथकाल में की जाती है । पूजा करते समय श्रीकृष्ण को अनामिका से गंध (चंदन) लगाकर तुलसी और कृष्णकमल चढाएं । चंदन, केवडा, चमेली, चंपा, जाही अथवा खस, इनमें से एक सुगंध की २ उदबत्तियों से आरती उतारें । इसके पश्चात् तीन अथवा तीनकी गुनामें परिक्रमाएं लगाएं ।

भगवान श्रीकृष्णजी के पूजन में कृष्ण-कमल एवं तुलसी के उपयोग का कारण

कृष्णकमल एवं तुलसीमें श्रीकृष्णजीके महालोक तक के पवित्र  आकृष्ट कर उन्हें प्रक्षेपित करनेकी क्षमता होती है । इसीलिए श्रीकृष्णजी को कृष्ण कमल के फूल एवं तुलसी अर्पित करने से श्रीकृष्णजी की प्रतिमा में विद्यमान चैतन्य का लाभ पूजक को शीघ्र प्राप्त होता है । श्रीकृष्णजी को फूल तीन अथवा तीन गुना संख्या में तथा दीर्घवृत्ताकार अर्थात् एलिप्टिकल आकार में चढाने से उन फूलों की ओर कृष्णतत्त्व शीघ्र आकृष्ट होता है ।

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